Haryanwi Childhood Memories part 2
- सांवलिया बानिया
गुड तोले
तले पपिहिया
पूं बोले
क्योँ बोले
भाई क्यों बोले
डंडी मारे
न्यू बोले
(जब हाम दुकानां आली गाल में जांदे ,तो जिस बाणीये नु चिडाना होंदा, ऊ का नाँ ले कें चिडाया करदे ) - गादड ,गादड़ी नु बियाह्वे
मुस्सा भात भरण जावे
चिड़िया बियाह के गीत गावे
लोंबाँ लाकडी चुग्गन जावे
काग हलवा पूरी बनावे - ओ बेटे धारे
तेरी माँ बेचे गुब्बारे
तेरा बाबु फोड़े सारे - गुगन नाई, करे कमाई
हूका बेच के, लावे लुगाई - पप्पू नाई करे सगाई
बारा बेटे एक लुगाई - बारा बज गे
बारा बज गे
उप्पर बज गा एक
मास्टर जी
मन्ने छुट्टी दे दो
भूखा मर गा पेट
(सारी क्लास जब गाया करदी जब तफरियां का बखत हो जांदा ) - आजा सेठ
मिला ले पेट
तू मेरी भाभी
में तेरा जेठ
(मोटे पेटले बाणियां नु चिडाया करदे ) - तख्ती पे तख्ती
तख्ती पे दाना
कल की छुट्टी
परसों आना - खोखंली गादड़ी
डोले-डोले भाजरी
एक मार्या कुत्का
गादड़ी डेह पड़ी
पड़ी-पड़ी नु लागी भूख
बोली दे-दे
मन्ने दो टूक
टूक पे धरी मलाई
खावे मुन्ना भाई
(जब कोए छोट्टा बालक रोटी नि खांदा हो जब भलोया करदे ) - कानी थी कोतरी थी
अम्बर ने पोतरी थी
अम्बर में लागे ढीइंढरे
कानी चाबे लिंडरे
(कानी भेंगी छोरियां नु चीडाया करदे यो गा के)
Tags: Childhood Memory, Haryanvi Jokes, Haryanwi Childhood Memories
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