गुड़ की डळी




हिसाब का मास्टर तीसरी क्लास नै पढ़ावै था । बाळकां तैं बूझण लाग्या - दो रुपये का एक किलो गुड़ आवै सै, तै पच्चीस पईसे का कितना आवैगा ?"

थोड़ी हाण पाच्छै एक छोरे नै हाठ ठाया । मास्टर बोल्या - शाबाश लीलू, बता बेटा ।

लीलू – मास्टर जी, बताऊं ? दो छोटी-छोटी डळी अर थोड़े से भोरे !!




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