सॉरी भाई साहब !




एक बै एक गाम में एक फौजी नै आपणे घर में नया-नया टेलीफोन लगवा लिया । जब भी घंटी बाजै, उसकी घरवाली सब तैं पहल्यां फोन उठावै अर घर में किसै नै बात ना करण दे ।

एक बै घर पै फोन आया, फौजी का छोरा फोन ठावण लाग्या । फौजिण बोल्ली - तू रुक, मैं फोन ठाऊंगी । फिर फोन ठा कै बोल्ली - हाँ .... हैल्लो .... भाई साहब !

फोन था फौजी का, वो बोल्या - अरै, मैं बोल्लूँ सूँ !

फौजिण फिर बोल्ली - "सॉरी भाई साहब !"




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