ईब मैं तन्नैं के कहूँ




एक छौरे का ब्याह हो ग्या…..सुहाग रात नै जब दूल्हन का घूंघट उठाया…....तो चेहरा देख के लट्टू हो गया….…ओर बोल्या……हाये रै मेरी किस्मत……मेरे इतनी खूबसुरत बहू आ गई……जी सा आ गया रै…….और खुश हो के दूल्हन ने न्यूं बोल्या…ईब मैं तन्नैं के कहूँ….?
और यूं कहते-कहते………के……..ईब मैं तन्नैं के कहूँ……ईब मैं तन्नैं के कहूँ……....सुबह के चार बज गये……।
निरणे कालजे सवेरे-सवेरे छौरे का बापू………नवदम्पती के कमरे के आगे को निकले था….उसने सुणा….बेटा तो सुबह के चार बजे तक एक ही राग अलाप रहा है…..के ईब मैं तन्नैं के कहूँ……..बापू पै भी कहे बिना रहा नी गया….बापू बोल्या…...रै छौरे……तू इसने एक बै माँ कह कै कमरे तै बाहर निकल आ……....बाकी जो भी कहना-सुनणा होगा मै आपै कह-सुण लूंगा……....?




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